उज्जैन महाकाल सवारी: कई रूप में दर्शन देते हैं भोले बाबा

Ujjain Mahakal Sawari: महाकाल की नगरी में सावन का विशेष महत्व है। इस बार उज्जैन में सावन में 5 और भादो मास में 2 बाबा महाकालेश्वर की सवारी निकलेगी। 

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष श्रावण मास और भाद्रपद माह में सोमवार के दिन महाकाल की नगरी उज्जैन में बाबा महाकालेश्वर की सवारी निकलती है। कभी 7 या 8 सवारी होती है तो कभी 10 सवारी निकलती है। इसे पाल्की भी कहते हैं। इस दौरान महाकाल बाबा नगर भ्रमण करते हैं। 

बाबा महाकाल की प्रथम सवारी 22 जुलाई 2024 को निकलेगी और अंतिम शाही सवारी 2 सितम्बर को निकाली जाएगी। कुल 7 सवाली निकलेगी। सभी सवारी में बाबा महाकाल अलग अलग रूप रंग में विराजमान होंगे। 

2024 में कब-कब निकलेगी महाकाल सवारी 

महाकालेश्वर की पहली सावारी : सोमवार 22 जुलाई।

महाकालेश्वर की दूसरी सवारी : सोमवार 29 जुलाई।

महाकालेश्वर की तीसरी सवारी : सोमवार 5 अगस्त।

महाकालेश्वर की चौथी सवारी : सोमवार 12 अगस्त।

महाकालेश्वर की पांचवीं सवारी : सोमवार 19 अगस्त को श्रावण महीने में निकाली जाएगी।

महाकालेश्वर की छठी सवारी : सोमवार 26 अगस्त।

महाकालेश्वर की शाही सवारी : सोमवार 2 सितम्बर को निकाली जाएगी। 

1. महाकाल उमा महेश  

भगवान महाकाल उमा महेश स्वरूप में नंदी पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देते हैं। उमा यानी पार्वती और महेश यानी शिव। इस रूप में शिव और शक्ति का रूप प्रकट होता है। माता की पूजा के बगैर शिव की आराधना अधूरी मानी जाती है। 

2. महाकाल मन महेश 

मन को मोहने वाला यानी मन महेश। पालकी में विराजमान महाकाल का यह रूप सच में ही मन को मोह लेता है। इस रूप में नगर भ्रमण करके बाबा भक्तों को दर्शन देते हैं। 

3. महाकाल चंद्र मौलेश्वर 

भगवान शिव के सिर पर वक्री एवं अर्ध चंद्रमा विराजमान है। इस रूप में भगवान का चंद्र स्वरूप दर्शाया जाता है। इसीलिए इसे चंद्र मौलेश्वर कहते हैं। इस रूप में उनके सिर पर बड़ा सा चंद्र लगा होता है। सबसे पहले चंद्रमा ने ही शिवजी की आराधना करके धरती पर शिवलिंग की स्थापना की थी। चंद्र एक नाम सोम भी है। सोमनाथ में उन्होंने शिवलिंग स्थापित करके पूजा की थी।

4. महाकाल शिव तांडव 

शिवजी इस रूप में गरुड़ रथ पर सवार होकर अपने तांडव रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। गरुड़ रथ पर सवार भगवान शिव वैष्णव और शैव संप्रदाय में समन्वय के प्रतीक हैं।

5. महाकाल सप्तधान 

सनातन हिंदू शास्त्रों के अनुसार हमारा शरीर 7 प्रकार की धातुओं से मिलकर बना है। इस रूप में शिवजी का मुखाविंद सात धातुओं से बनाया जाता है। इसीलिए इसे सप्तधान स्वरूप कहते हैं। यह रूप जीवन की उपत्ति को दर्शाता है।

6. महाकाल घटाटोप  

घटाटोप का अर्थ बादलों में छाई हुई काली घटाओं से हैं। शिवजी के तांडव नृत्य के दौरान जब उनकी जटाएं खुलती हैं, तो यह आकाश में काली घटाएं छाने का आभास कराती हैं। इस स्वरूप को कला से संबंधित भी माना जाता है। 

7. महाकाल होलकर  

भगवान शिव का यह स्वरूप इंदौर के होलकर राजवंश द्वारा महाकाल मंदिर को दिया गया था। तभी से यह मुखाविंद चला आ रहा है। 


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