प्याज को कहते है कृष्णावल, क्या है इस नाम का श्रीकृष्ण से संबंध



दक्षिण भारत में खासकर कर्नाटक और तमिलनाडु के ग्रामीण क्षेत्रों में प्याज को कृष्णावल नाम से जाना जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि भगवान श्रीकृष्ण के साथ प्याज का क्या संबंध है?

हिंदू मान्यताओं के अनुसार प्याज और लहसुन को तामसिक भोजन की श्रेणी में माना जाता है। हिन्दू धर्म में व्रतधारी को प्याज और लहसुन खाने का मना किया जाता है। दरअसल, प्याज और लहसुन शरीर में उत्तेजना बढ़ाते हैं। यह कामेच्छा बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ होते हैं। इसलिए व्रतधारी व्यक्ति के लिए तथा भगवान को लगने वाले भोजन और भोग में लहसुन-प्याज का उपयोग नहीं किया जाता है।  

संस्कृत में प्याज को कृष्णावल भी कहा जाता है। यहीं वजह है कि कर्नाटक और तमिलनाडु में कई जगह प्याज को कृष्णावली नाम से जाना जाता है। दरअसल, कृष्‍णावल कहने के पीछे एक रहस्य छुपा हुआ है। कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। कमल, गदा, चक्र और शंख भगवान विष्णु के प्रिय है। 

कृष्णावल नाम में रहस्य

जब प्याज को खड़ा काटा जाता है तो वह शंख के आकार में कटता है। वहीं जब इसे आड़ा काटा जाता है तो यह चक्र के आकार में कटता है। यदि प्याज को उसकी पत्तियों के साथ उलटा पकड़ेंगे तो वह गदा की तरह भी दिखाई देता है। बगैर पत्तों के वह पद्म यानी कमल के समान नजर आता है। 

गदा और पद्म भी भगवान विष्णु चक्र और शंख के साथ धारण करते हैं। कृष्ण और वलय शब्दों को मिलाकर बना है कृष्णावल शब्द है। हालांकि आजकल यह शब्द प्रचलन में नहीं है। लेकिन कुछ धारावाहिकों में इसके उल्लेख होने से यह शब्द इन दिनों चर्चा में हैं। 

तेजस इंडिया के माध्यम से भारत की संस्कृ​ति से रूबरू कराने का प्रयास यहां किया जा रहा है। कंटेंट इंटरनेट तथा अन्य स्रोतों से जुटाए गए है। हम इनकी पूर्ण विश्वसनीयता का कोई दावा नहीं करते है। यदि किसी कंटेंट को लेकर कोई आपत्ति या सुझाव है तो tejasindiainfo@gmail.com पर मेल करें। 

Share on Google Plus

About Tejas India

0 comments:

Post a Comment