कर्पूरगौरम करुणावतारं पूरा श्लोक और अर्थ


कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।

भगवान की आरती के समय कर्पूर गौरम करुणावतारं श्लोक पढ़ा जाता है। यह श्लोक ईश्वर के प्रति हमारी आत्मीयता की भावना को दर्शाता है। इससे पूजन का महत्व बढ़ जाता है। इस श्लोक के पाठ से मन को शांति मिलती है। इसका पाठ मन से किया जाए तो जीवन से नकारात्मकता समाप्त होती है।  

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।

कर्पूर गौरम करुणावतारं श्लोक का हिंदी अर्थ

कर्पूरगौरं यानि कपूर के समान गौर वर्ण वाले हैं

करुणावतारं यानि जो करुणा के अवतार हैं 

संसारसारं  यानि जिनमें पूरे संसार का सार हैं

भुजगेन्द्रहारम् यानि जो सर्पों के राजा हैं 

सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे अर्थात् जो हमेशा हृदय के अंतर में बसे हुए हैं।

भवं भवानीसहितं नमामि अर्थात मैं उन्हें नमस्कार करता हूँ, जो भवानी के साथ हैं।

अर्थात, हे शिव, आप कर्पूर के समान गौर वर्णवाले हैं, आप करुणा के अवतार हैं, आप संसार का सार हैं, और आप सर्प का हार धारण करने वाले हैं। हे शंकर, आप माता भवानी के साथ मेरे हृदय में सदा वास करें। हे शिव, हम आपको हमारा प्रणाम समर्पित करते हैं।

कर्पूरगौरम करुणावतारं पूरा श्लोक

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।

सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।

मंगलम भगवान् विष्णु

मंगलम गरुड़ध्वजः। 

मंगलम पुन्डरीकाक्षो

मंगलायतनो हरि।।

सर्व मंगल मांग्लयै शिवे सर्वार्थ साधिके। 

शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।


त्वमेव माता च पिता त्वमेव

त्वमेव बंधू च सखा त्वमेव

त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव

त्वमेव सर्वं मम देव देव


कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा

बुध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात

करोमि यध्य्त सकलं परस्मै

नारायणायेति समर्पयामि।।


श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे

हे नाथ नारायण वासुदेव।

जिब्हे पिबस्व अमृतं एत देव

गोविन्द दामोदर माधवेती। 

Share on Google Plus

About Tejas India

0 comments:

Post a Comment