शीतला अष्टमी (बास्योड़ा) के दिन शीतला माता की पूजा की जाती है। शीतला अष्टमी चैत्र में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है।
शीतला अष्टमी के दिन घरों में खाना नहीं बनता। एक दिन पहले बनाया बासी खाना खाने की परंपरा है। इस दिन घरों में शीतला माता की पूजा होती है। वैसे तो शीतला माता के मंदिर लगभग हर मोहल्ले में होते है, जिन्हें माता के मंड के नाम से जाना जाता है। यहां पर शीतला माता की पूजा होती है।
देश में पांच मंदिर ऐसे हैं जहां शीतला अष्टमी को भव्य मेला आयोजित होता है। इस मेले में दूर-दूर से भक्त माता के दर्शन करने आते है और अपने परिवार के स्वस्थ्य रहने की कामना करते है। इन मंदिरों में शीतला अष्टमी पर भव्य मेला आयोजित होता है। इसके साथ नवरात्रों में भी भक्त माता के दर्शन के लिए आते है।
शील की डूंगरी, चाकसू, जयपुर
शीतला माता का प्रसिद्ध मंदिर शील की डूंगरी राजस्थान की राजधानी जयपुर से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित है। कोटा जयपुर हाइवे पर चाकसू कस्बे में स्थित शील की डूंगरी है। यहां पूरी पहाड़ी ही आस्था का केंद्र है। मुख्य मंदिर करीब 300 मीटर की उंचाई पर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है।
यूं तो यहां सालभर माता के भक्तों की आवाजाही रहती है, लेकिन चैत्र में कृष्ण पक्ष की अष्टमी यानि शीतला अष्टमी को दो दिवसीय लक्खी मेला आयोजित होता है। माता के दरबार में ठंडे पदार्थों का ही भोग लगता है। शील की डूंगरी का यह मंदिर पांच सौ साल से भी अधिक पुराना है। माता निकलने यानि चेचक की बीमारी के बाद यहां बच्चों को ढोक लगवाने की परम्परा है।
शीतला माता का चमत्कारी मंदिर पाली, राजस्थान
राजस्थान के शीतला माता को एक और प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर पाली जिले में भाटून्द में स्थित है। शीतला माता के मंदिर में एक चमत्कारी घड़ा है। जिसे साल में दो बार श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है।
यहां की मान्यता के अनुसार इस घड़े में कितना भी पानी क्यों ना डाला जाए ये कभी नहीं भरता है। इसका पानी कहां जाता है इसके बारे में वैज्ञानिक भी रिसर्च कर चुके हैं, लेकिन कुछ पता नहीं लगा है। यहां के लोगों की माने तो ये पानी राक्षस पीता है और इसी कारण ये घड़ा नहीं भरता है। यह परंपरा शीतला अष्टमी और जेष्ठ मास की पूर्णिमा को सैकड़ों साल से निभाई जा रही है। इस दौरान यहां मेला आयोजित होता है।
शीतला माता मंदिर, गुड़गाँव, हरियाणा
गुडगॉंव यानि गुरुग्राम स्थित शीतला का मंदिर करीब 500 साल पुराना है। यहां भी भक्तों की आस्था देखते ही बनती है। शीतला अष्टमी के साथ ही यहां नवरात्रों में भी भक्त माता के दर्शन के लिए पहुंचते है। मान्यता के अनुसार यहां पूजा करने से शरीर पर निकलने वाले दाने 'माता' या चेचक नहीं निकलते हैं। कई परिवार नवजात शिशुओं के मुंडन भी यहां आकर करते है। इस मंदिर के रखरखाव की जिम्मेदारी के लिए हरियाणा सरकार ने 'शीतला माता श्राइन बोर्ड' का गठन कर रखा है। यह मंदिर शहर के मध्य में स्थित है। बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन यहां से ज्यादा दूर नहीं है।
शीतला धाम, अदलपुरा
अदलपुरा, चुनार स्थित शीतला धाम देश के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि सच्चे मन मांगी गई मुराद माता शीतला आवश्य पूरा करती है। यह मंदिर काफी प्राचीन है। चैत्र में यहां मेला आयोजित होता है।
शीतला माता मंदिर, ग्वालियर
ग्वालियर में शीतला माता का प्रसिद्ध मंदिर है। यहां शीतला आष्टमी के दिन मेला आयोजित होता है। इस दिन महिलाएं माता को ठंडे पकवानों का भोग लगाती हैं। मान्यता है कि यहां ठंडे पकवानों का भोग लगाने से परिवार की चेचक, दाने जैसी बीमारियों से सुरक्षा होती है।
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